लड़के वाले नाच रहे थे लड़की वाले गुमसुम थे

लड़के वाले नाच रहे थे लड़की वाले गुमसुम थे
याद करो उस वारदात में अकसर शामिल हम-तुम थे

बोलचाल और खाल बाल जो झट से बदला करते थे
सोच-समझ की बात करें तो अभी भी कुत्ते की दुम थे

बाबा, बिक्री, बड़बोलापन, चमत्कार थे चौतरफ़ा
तर्क की बातें करने वाले सच्चे लोग कहाँ गुम थे!

उनपे हँसो जो बुद्ध कबीर के हश्र पे अकसर हँसते हैं
ईमाँ वाले लोगों को तो अपने नतीजे मालूम थे

अपनी कमियाँ झुठलाने को तुमने हमें दबाया था
जब हम ख़ुदको जान चुके तब हमने जाना क्या तुम थे
संजय ग्रोवर 

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